इस दिन करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ बनेंगे सारे काम होगी सुख की प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र सूर्य देव का जन्म हुआ था। विशेष रूप से रविवार और सप्तमी को सूर्य देव की उपासना के लिए

आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ हिंदी में।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र सूर्य देव का जन्म हुआ था। विशेष रूप से रविवार और सप्तमी को सूर्य देव की उपासना के लिए शुभ माना गया है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति सूर्य की उपासना करता है, उसे आरोग्य, ऐश्वर्य, धन और संतान की प्राप्ति होती है। 

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों में सूर्य देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और उन्हें पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना गया है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व:

सूर्य देव की आराधना से व्यक्ति को सूर्य के समान तेज और यश की प्राप्ति होती है। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सूर्य को मजबूत करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यदि इस स्तोत्र का पाठ रविवार से शुरू कर प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से किया जाए, तो जातक को शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम मिलते हैं और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

भगवान राम द्वारा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ:

रामायण में वाल्मीकि जी ने उल्लेख किया है कि ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का उपदेश दिया था। ज्योतिषशास्त्र में भी इस स्तोत्र को बहुत महत्व दिया गया है। इसके नियमित पाठ से जातक की कुंडली में सूर्य सहित सभी ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कैसे करें:

  • 1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • 2. एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली या लाल चंदन और लाल पुष्प डालें और उगते हुए सूर्य को अर्पित करें।

  • 3. सूर्य को जल अर्पित करते समय सूर्य के किसी भी मंत्र का जाप करें और इसके बाद आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

  • 4. पाठ पूरा होने के बाद सूर्य देव का ध्यान कर उन्हें प्रणाम करें और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें।

पाठ के करने नियम

  • 1. सूर्य पूजा के दौरान काले या नीले रंग के वस्त्र न पहनें, इससे पूजा का फल नहीं मिलता है।

  • 2. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते समय रविवार को मांसाहार, मदिरा और तेल का सेवन न करें। अगर संभव हो तो नमक का भी सेवन न करें।

  • 3. मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से करें ताकि उचित लाभ प्राप्त हो सके।

आदित्य स्तोत्र पाठ करने के लाभ:

आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ मिलते हैं। इससे धन, अच्छी नौकरी, और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस पाठ से हर प्रकार के दुख से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। कार्य क्षेत्र में तरक्की, मन के भय से मुक्ति, नकारात्मक विचारों से छुटकारा, सरकारी विवादों में जीत, और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है।


इस प्रकार, आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाने के लिए एक उत्तम उपाय है।

निष्कर्ष

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सूर्य देव की कृपा पाने और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक शक्तिशाली साधन है।


इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, और यश भी बढ़ता है। जीवन की विभिन्न समस्याओं और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ एक सिद्ध उपाय है। 


सूर्य की उपासना के माध्यम से प्राप्त सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन में असीम सफलता और शांति का अनुभव कर सकता है। इसलिए, आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।

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