Gujarat | Chandipura virus claims 16 lives, 50 cases reported: Health ministry

 

गुजरात|चांदीपुरा वायरस से 16 लोगों की मौत, 50 मामले सामने आए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया।

गुजरात में चांदीपुरा वायरस के करण करीब 16 बच्चों की मौत होने की आशंका है और यह बिमारी खास तरह की मक्खी से फेलता है जिसे सैंडफ्लाई कहते हैं,


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आखिर वह क्या कारण है। जिनसे यह बिमारी फेलती है या अगर यह मक्खी काट ले तो क्या होता है 

इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं पहले आपको बता दें कि यह रोग फेलता कैसा है चांदीपुरा वायरस एक वेक्टर जनित बीमार है जो फ्लाई के द्वार फेलती है 


यह मक्खियां कच्चे पक्के मकानों में रहती हैं जो मिट्टी और गोबर से लिपे पोते होते हैं अमतौर से ये संक्रमक मक्खियां घर के अंदरुनी हिसों में पेदा होती हैं 


नामी इन के लिए सबसे अनुकूल महौल होता है जहां ये पेदा हो सकता है ये जीव अंडे देते हैं जो बड़े होकर मक्खी का रूप लेते हैं 


यह इतनी छोटी होती हैं कि नॉर्मल दिखने वाली मक्खी से इनका आकार 4 गुना छोटा होता है जून से लेकर अक्टूबर महीने के बीच chandipura virus के लक्षण सबसे ज्यादा होते हैं

इस वायरस के लिए कैसा परिवर्तन अनुकूल होता है।

हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉक्टर आशीष जैन ने बात करते हुए कहा चांदीपुरा वायरस सैंडफ्लाई और मच्छर दोनों से फैलते हैं. 


ये मक्खियां उन घरों की दीवारों में आई दरारों में नज़र आती हैं जो मिट्टी या गोबर से पुती हुई होती हैं.


गंदे इलाकों में बने घरों की दीवारों में आई दरारों में भी ये मक्खियां मिलती हैं. जिन कमरों में हवा और सूरज की रोशनी नहीं आती वहां पर ये मक्खियां पैदा होती हैं."

डॉ. आशीष जैन

क्या यह संक्रमण रोग है 

यह संक्रमण रोग नहीं है अगर किसी बच्चे को यह होता है।


फिर यह अगर उड़कर किसी संक्रमण बच्चे तक जाकर जाए किसी को स्वस्थ्य बच्चे के खराब होने की चिंता है तो यह हो सकता है कि वह स्वस्थ बच्चा बीमार पड़ सकता है इस बीमारी की गंभीर बात करते हुए डॉक्टर आशीष जैन ने कहा 


इस बीमारी से जान गंवाने वाले बच्चों की दर करीब 85 फीसदी है. इसका मतलब ये है कि अगर 100 बच्चों को ये बीमारी होती है तो 15 ही बचाए जा सकते हैं."

डॉ. आशीष जैन


आमतौर से इस बीमारी की चैपेट में 14 साल तक के ही बच्चे आते थे हैं जिंकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती 

इस बीमारी के क्या-क्या लक्षण हैं 

आमतौर से इस बीमारी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं 


  • तेज बुखार 

  • दस्त 

  • उलटी आना 

  • जबती 

  • निंद ना आना 

  • बेहोसी 


कुछ घंटों के बाद संक्रामित बच्चा,

कोमा मैं भी जा सकता हूं चांदीपुरा वायरस से इन लक्षणों में के अलावा चमडी पर धब्बे भी पड़ जाते हैं 


डॉक्टरो के मुताबिक इस वायरस से होने वाली बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं है।


केवल लक्षणों का इलाज हो पा रहा है और अभी तक इसके लिए वैक्सीन भी नहीं बनी है 

अब आप यह समझ की इस विद्यार्थी से बचाव कैसे कर सकते हैं।

  • घर और आस-पास के इलाक़ों में साफ़ सफ़ाई रखे और घर में रखें घर में दरार और खादों को जल्दी से जल्दी ठीक कर दें 


  • कमरे के अंदर सूरज की रोशनी लाने का प्रबंध करें बच्चों को मच्छरदानी में सुलाने का प्रबंध करें 


  • हो सके तो बच्चों को धुल में खुले में खेलने से रोके घरों में गंदा पानी या जमा होने दें 


  • कहीं भी मच्छर और मख्खियों को भुगतान करने से रोकें अगर इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो टरंट डॉक्टर से मिले धन्यवाद जय हिंद

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